26 January – Republic Day – Some Facts
26 जनवरी – गणतंत्र दिवस
आइये जानते हैं, कुछ खास जानकारियाँ हमारे गणतंत्र दिवस के बारे में –
- 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
- 21 तोपों की सलामी के बाद ‘इर्विन स्टेडियम’ में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहरा कर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारतीय गणतंत्र के शुरुआत की घोषणा की।
- 26 जनवरी का हमारे देश के संविधान को लागू किए जाने से पहले भी बहुत महत्त्व था।
- 1947 में आज़ादी मिलने से पहले तक 26 जनवरी को ही अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था और यह एक कारण भी था 26 जनवरी को ही सविंधान लागू करने का।
- राष्ट्र को स्वतंत्र बनाने की मुहिम की शुरुआत करते हुए लाहौर में 31 दिसम्बर सन् 1929 की आधी रात में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि ब्रिटिश सरकार 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उपनिवेश का पद प्रदान नहीं करेगी तो भारत अपने को आज़ाद देश घोषित कर देगा।
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- देश के तिरंगे झंडे को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इस लाहौर अधिवेशन में ही फहराया गया था।
- इसी दिन सर्वसम्मति से एक और महत्त्वपूर्ण फैसला लिया गया कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी का दिन पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई, जिसमें भारतीय नेताओं के साथ ही ब्रिटिश कैबिनेट मिशन ने भी भाग लिया।
- आज़ादी मिलने के बाद तत्कालीन सरकार ने संविधान सभा का गठन किया जिसकी अध्यक्षता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को दी गई।
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में 211 विद्वानों द्वारा 2 महीने और 11 दिन में तैयार देश के संविधान को 26 नवम्बर, 1949 को मंजूरी मिली।
- 24 जनवरी, 1950 को सभी सांसदों और विधायकों ने हमारे देश के सविंधान पर हस्ताक्षर किए और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू कर दिया गया।
- 395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
>>> HAPPY REPUBLIC DAY <<<
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने भारतीय गणतंत्र के जन्म के अवसर पर देश के नागरिकों का अपने विशेष संदेश में कहा: “हमें स्वयं को आज के दिन एक शांतिपूर्ण किंतु एक ऐसे सपने को साकार करने के प्रति पुन: समर्पित करना चाहिए, जिसने हमारे राष्ट्र पिता और स्वतंत्रता संग्राम के अनेक नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्त और प्रसन्नचित्त समाज की स्थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा दी। हमें इस दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिन आनन्द मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है – श्रमिकों और कामगारों परिश्रमियों और विचारकों को पूरी तरह से स्वतंत्र, प्रसन्न और सांस्कृतिक बनाने के भव्य कार्य के प्रति समर्पण करने का दिन है।”
सी. राजगोपालाचारी, महामहिम, महाराज्यपाल ने 26 जनवरी 1950 को ऑल इंडिया रेडियो के दिल्ली स्टेशन से प्रसारित एक वार्ता में कहा: “अपने कार्यालय में जाने की संध्या पर गणतंत्र के उदघाटन के साथ मैं भारत के पुरुषों और महिलाओं को अपनी शुभकामनाएं और बधाई देता हूं जो अब से एक गणतंत्र के नागरिक है। मैं समाज के सभी वर्गों से मुझ पर बरसाए गए इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद देता हूं, जिससे मुझे कार्यालय में अपने कर्त्तव्यों और परम्पराओं का निर्वाह करने की क्षमता मिली है, अन्यथा मैं इससे सर्वथा अपरिचित था।”
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