Story in hindi (हिंदी कहानी) - शेर के बाल से पति का इलाज

Story in Hindi:शेर के बाल से पति का इलाज

एक बार एक भीषण युद्ध हुआ। युद्ध समाप्त होने के बाद उसकी भयावहता की यादें अपने साथ लिए सभी जिन्दा बच गए लोग अपने अपने घर लौट गए। इस युद्ध से लौटने के बाद लक्ष्मी का पति बिलकुल बदल गया था। युद्ध की भयावहता ने उसके दिलो-दिमाग पर बहुत गहरा असर किया और उसके मिजाज़ को बहुत बदल दिया था। अब वह हमेशा गुमसुम रहता और बात-बात पर गुस्सा करने लगता। उसका स्वभाव ऐसा हो गया था कि लक्ष्मी को उससे डर लगने लगा था।

पति की ऐसी हालात देखकर उसे पति के स्वास्थ्य की चिंता होने लगी। किसी ने उसे एक अच्छे वैद्य के बारे में बताया और उसके पति का इलाज उनके पास कराने के लिए समझाया। अपने पति का इलाज कराने के लिए लक्ष्मी उस वैद्य के पास गयी। वह वैद्य अपनी झोपडी में बैठा अपनी कुछ दवाइयाँ तैयार कर रहा था। लक्ष्मी ने उस वैद्य को अपने पति के व्यव्हार में युद्ध के बाद आये परिवर्तन की समस्या को सिलसिलेवार बता दी। लक्ष्मी ने वैद्य से गुजारिश की कि वो उसके पति का ऐसा इलाज कर दे जिससे जिससे उसका पति पहले की तरह ही प्रेमपूर्वक व्यव्हार करने लगे। उस वैद्य ने लक्ष्मी की समस्या सुन उसे तीन दिन बाद आने को कहा।

तीन दिन बाद जब लक्ष्मी उस वैद्य के पास पहुंची तो वैद्य ने कहा कि तुम्हारे पति की बीमारी बहुत ही भयंकर है और उसे ठीक करने के लिए एक खास प्रकार की दवा तैयार करनी होगी। वैद्य ने आगे कहा कि मुझे ये दवा तैयार करने के लिए जिन्दा शेर का एक बाल चाहिए। अगर तुम अपने पति को ठीक करके फिर से पहले जैसा करना चाहती हो तो तुम्हे कहीं से भी मुझे जिंदा शेर का एक बाल लाकर देना होगा तभी मैं ये खास दवा तैयार कर पाउँगा, जिसे खाते ही तुम्हारा पति बिलकुल पहले जैसा हो जायेगा।

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लक्ष्मी तो जिंदा शेर के बाल की बात सुनकर ही सहम गयी और उसने वैद्य से जिंदा शेर का बाल लेकर आने में असमर्थता जता दी। उसने वैद्य से कहा वैद्यमहाराज, आप ही सोचें मैं कैसे एक जिंदा शेर का बाल लेकर आ पाऊँगी। आप कृपया करके मेरे पति के लिए कोई दूसरा इलाज बताएं। वैद्य ने भी लक्ष्मी से कह दिया तुम्हारे पति का इलाज सिर्फ जिंदा शेर के बाल से बनी खास दवा से ही किया जा सकता है। इसके अलावा इस बीमारी को कोई इलाज नहीं है। अगर तुम शेर का बाल नहीं ला सकती तो तुम्हारा पति जैसा भी है तुम उसके साथ उसी हाल में रहो और उसके इलाज की बात भूल जाओ। वैद्य के मुँह से ऐसी बात सुनकर लक्ष्मी परेशान हो गयी। लेकिन कोई और चारा ना देख आखिरकार वो जिंदा शेर का बाल लाने को तैयार हो गयी।

वो घर चली गयी और शेर का बाल लाने को लेकर अपने आप को हिम्मत बंधाती रही। अगले दिन वह हिम्मत करके एक कटोरी में मांस लेकर पास के एक जंगल की तरफ चली गयी। वहाँ जंगल में उसे एक गुफा नज़र आई, जहाँ से उसे शेर की गुर्राहट सुनाई दी। उसे लगा जरूर इस गुफा में कोई शेर रहता होगा। पर वो वहां मांस रखने की हिम्मत नहीं कर पाई और ऐसे ही वहां से वापस घर चली गयी। घर आकर उसे लगा ऐसे तो वो कभी भी शेर का बाल लेकर नहीं आ पायेगी और उसके पति का इलाज नहीं हो पायेगा। वो पूरी रात इसी के बारे में सोच सोच कर परेशान होती रही।

अगले दिन फिर से उसने हिम्मत की और एक कटोरी में मांस लेकर जंगल की तरफ रवाना हो गयी। जंगल में पहुंचकर हिम्मत करके वह चुपचाप दबे पांव गुफा के पास गयी और गुफा के सामने कटोरी रखकर तुरंत ही वहां से वापस घर आ गयी।  अगले दिन फिर से उसने ऐसा ही किया, धीरे-धीरे यही उसका नियम बन गया। वह हर रोज जंगल जाती, गुफा के पास पहुँचती, एक दिन पुरानी कटोरी उठाती और मांस से भरी नई कटोरी रखकर दबे पांव वहां से निकलकर वापस अपने घर लौट आती। ऐसा करते उसे कई दिन हो गए लेकिन अभी तक उसका शेर से कभी सामना नहीं हुआ था।

धीरे – धीरे लक्ष्मी का डर कम होने लगा। अब वो बहुत इत्मिनान से जंगल जाती और मांस की कटोरी गुफा के बाहर रखकर आ जाती। कुछ दिनों तक ऐसा ही करते रहने के बाद एक दिन उसने देखा कि शेर गुफा में बाहर की तरफ ही बैठा है। लक्ष्मी हिम्मत करके धीरे-धीरे गुफा की तरफ बढ़नी लगी। शेर ने उससे कुछ नहीं कहा। लक्ष्मी ने मांस से भरी कटोरी वहां रखी और खाली कटोरी लेकर वहां से रवाना हो गयी। इसी प्रकार कई और दिन बीत गए। लक्ष्मी के प्रति शेर का स्वभाव दोस्ताना हो गया, वो कभी भी उसके आने पर आक्रामक नहीं होता। शेर के इस दोस्ताना व्यवहार के चलते अब लक्ष्मी कभी-कभी उसे सहला भी देती थी।लक्ष्मी को शेर के पास आते जाते करीब छह महीने बीत गए तब उसे लगा कि अब वह शेर के बाल काट सकती है। अगले दिन वह अपने साथ एक छोटा चाकू छुपाकर ले गई और शेर को सहलाते-पुचकारते हुए लक्ष्मी ने उसके कुछ बाल काट लिए।

शेर का बाल मिलते ही लक्ष्मी तुरंत वैद्य के पास पहुँच गई और उसे शेर के बाल दिखाए। वैद्य ने उससे पूछा कि उसने ये शेर के बाल कैसे हासिल किये। लक्ष्मी ने वैद्य को अपने 6 महीने की पूरी कहानी सुना दी। लक्ष्मी की पूरी कहानी सुनने के बाद वैद्य ने उसी समय शेर के बाल को आग के हवाले कर दिया और लक्ष्मी को समझाते हुए कहा कि इंसान शेर से ज्यादा खतरनाक नहीं हो सकता। यदि वह प्यार और धैर्य से शेर को अपने वश में कर सकती है तो पति को क्यों नहीं। लक्ष्मी को अपने पति की बीमारी का इलाज मिल गया था।

दोस्तों इस कहानी का moral यही है कि प्यार ही वो अहसास है जिससे हम किसी को भी अपना बना सकते हैं।

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