Hindi Inspirational Story of Confucius | दीर्घायु होने का राज

Hindi Inspirational Story of Confucius| दीर्घायु होने का राज

अगर आप भी दीर्घायु होने का राज ढूंढ रहे हैं? अगर आप के मन में भी ये सवाल घूम रहे हैं कि:

  • दीर्घायु कौन होता है?
  • दीर्घायु कैसे हुआ जा सकता है?
  • How to live long life?

तो आप सही जगह पर हैं। इन सवालों के जवाब आपको कन्फ़्यूशियस (Confucius) की Hindi Inspirational Story – दीर्घायु होने का राज, में मिल जायेंगे। कन्फ़्यूशियस (Confucius) चीन के बहुत बड़े सुधारक थे।

Hindi Inspirational Story of Confusius

Hindi Inspirational Story of Confucius| दीर्घायु होने का राज

एक बार चीन के प्रख्यात विचारक और सुधारक कन्फ़्यूशियस (Confucius) से मिलने एक सज्जन आए। ये सज्जन कन्फ़्यूशियस (Confucius) से धर्म और दर्शन पर विचार-विमर्श करना चाहते थे। जब दोनों की मुलाकात हुई तो देर तक अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होती रही। कन्फ़्यूशियस (Confucius) के विचारों से वह सज्जन बहुत प्रभावित हुए। लम्बी चर्चा के बाद सज्जन ने कन्फ़्यूशियस (Confucius)  से एक आखिरी सवाल पूछा:

यह बताइए दीर्घायु कौन होता है? दीर्घायु कैसे हुआ जा सकता है? How to live long life?

यह प्रश्न सुनकर कन्फ़्यूशियस ने सज्जन से कहा, मैं आपको इस प्रश्न का उत्तर जरूर दूंगा, पहले आप मेरे और नज़दीक आ जाइये।

वह सज्जन कन्फ़्यूशियस के नज़दीक आकर खड़े हो गए।

कन्फ़्यूशियस ने अब उनसे कहा, “मैं अपना मुंह खोलता हूँ। आप देखकर बताइए, इसमें जीभ है या नहीं!”

यह कहकर कन्फ़्यूशियस ने अपना मुंह खोल दिया। सज्जन ने मुंह के अन्दर देखकर कहा, “जी हाँ, आपके मुंह में जीभ है।”

Confucius ने फिर कहा, “अच्छा मैं फिर से मुंह खोलता हूँ। अब देखकर बताइए इसमें दांत हैं या नहीं हैं!”

Confucius ने फिर से अपना मुंह खोला, सज्जन ने फिर से मुंह के अन्दर देखकर कहा, “जी नहीं, आपके मुंह में दांत तो एक भी नहीं है।”

कन्फ़्यूशियस ने सज्जन के तरफ देखते हुए कहा, अब आप बैठ जाइये। और ये बताइए आपको ये देखकर आश्चर्य नहीं हुआ कि मेरे मुंह में जीभ तो है, लेकिन दांत एक भी नहीं है। जबकि जीभ तो दांतों से पहले पैदा हुई थी। जब हम पैदा हुए थे, उस वक़्त जीभ तो थी पर दांत नहीं थे। दांत बाद में आए, फिर भी इस बुढ़ापे में दांत तो पहले ही विदा हो गए, जबकि जीभ अभी भी साथ में है। जबकि उसे तो दांतों से पहले ही विदा हो जाना चाहिए था।

कन्फ़्यूशियस ने आगे उन्ही सज्जन से सवाल किया, “क्या आप बता सकते हैं कि ऐसा क्यों और कैसे हुआ?

Confucius की बात सुनकर वो सज्जन हैरान हो गए। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि इस प्रश्न का क्या उत्तर दें। उन्होंने तो इस तरह से कभी सोचा ही नहीं था। काफी सोच विचार के बाद भी जब उनसे उत्तर देते नहीं बना तो उन्होंने कन्फ़्यूशियस से कहा, “मान्यवर! मुझे तो इसका कोई जवाब नहीं सूझ रहा, कृप्या आप ही मार्गदर्शन करें।”

Confucius ने कहा, “असल में आपके प्रश्न कि दीर्घायु कौन होता है? का जवाब भी इसी में छुपा है। दांत की उम्र कम होने और जीभ की उम्र ज्यादा होने का सिर्फ इतना सा कारण है कि दांत कठोर होते हैं और जीभ कोमल होती है।”

“जिसमे कोमलता होती है वही अधिक समय तक जीवित रहता है।”

कन्फ़्यूशियस ने आगे कहा, “जिस प्रकार यह नियम हमारे शरीर पर लागू होता है, ठीक उसी प्रकार यह नियम हमारे मन पर भी लागू होता है। अपने जीवनकाल में व्यक्ति जितना नम्र और कोमल होगा, वह उतनी ही अधिक उपलब्धियां और सफलता हासिल करेगा।

Confucius की बात सुनकर सज्जन को अपने सभी सवालों के जवाब मिल गए और वो ख़ुशी- ख़ुशी अपने जीवन के लिए एक बहुत बड़ी सीख लेकर वहां से चले गए।

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